Justin Trudeau: एक तरफ जहां कनाडा और भारत की बीच जस्टिन ट्रूडो बुरी तरह फंसे हुए हैं और हर जगह फजीहत हो रही है, वहीं अब उनकी पार्टी ने उनसे मुंह मोड़ लिया है, भारत से विवाद के बीच जस्टिस ट्रूडो के लिए अब उन्हीं की पार्टी के सांसदों ने अल्टीमेटम दे दिया है. अपने नौ साल के कार्यकाल की सबसे गंभीर राजनीतिक चुनौतियों में से एक का सामना कर रहे ट्रूडू से अब इस्तीफा मांग लिया है. लिबरल पार्टी के नाखुश सदस्यों ने बुधवार को बंद कमरे में हुई बैठक के दौरान अपनी निराशा व्यक्त की. रिपोर्ट के मुताबिक 24 सांसदों ने ट्रूडो से 28 अक्टूबर तक इस्तीफा देने का आग्रह करने वाले एक पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं.
उनकी पार्टी के सांसदों ने इस्तीफे की मांग के पीछे ट्रूडो के नेतृत्व और पार्टी के खराब मतदान नतीजों से असंतुष्टि का हवाला दिया गया. हालांकि, तीन घंटे की इस मीटिंग के बाद ट्रूडो मुस्कुराते हुए सामने आए और कहा कि "लिबरल पार्टी मजबूत और एकजुट है." उन्होंने आगे कहा कि अगले चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करने के अपने इरादे की पुष्टि की. ट्रूडो के करीबी सहयोगी, आव्रजन मंत्री मार्क मिलर ने कहा, "वहां जो हो रहा था... वह वास्तव में सांसदों द्वारा प्रधानमंत्री को सच बताने के बारे में था, चाहे वह इसे सुनना पसंद करें या नहीं."
न्यूफ़ाउंडलैंड से लिबरल सांसद केन मैकडोनाल्ड ने कहा, 'उन्हें लोगों की बात सुननी शुरू करनी होगी.' उन्होंने कहा कि उन्होंने पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे सार्वजनिक नहीं किया गया है. इसके अलावा मैकडोनाल्ड, जो फिर से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, ने कहा कि उनके कुछ सहकर्मी जो आगामी चुनावों में लड़ने की योजना बना रहे हैं, वे खराब मतदान संख्या और लिबरल की घटती लोकप्रियता के कारण घबराए हुए हैं.
हालांकि ट्रूडो को तत्काल पद से हटाए जाने को लेकर कोई खतरा नहीं है, लेकिन यह मीटिंग उनके नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण क्षण है, क्योंकि कई सांसदों ने अगले चुनाव से पहले बदलाव की मांग की है, जो अक्टूबर 2025 तक होने चाहिए.
क्यों हो रहा ट्रूडो का विरोध: जून और सितंबर में हुए उपचुनावों में लिबरल पार्टी अपनी दो सबसे सुरक्षित संसदीय सीट हार गई, जिसके बाद से ट्रूडो के इस्तीफे की मांग जोर पकड़ रही है. कई सांसद अगले चुनाव की तैयारी की कमी को लेकर भी फिक्रमंद हैं. खासकर जब वोटिंग के आंकड़ों से पता चलता है कि लिबरल्स कंजर्वेटिव्स से पीछे हैं. 15 अक्टूबर को हुए नैनोस रिसर्च पोल में कंजर्वेटिव्स को 39%, लिबरल्स को 23% और न्यू डेमोक्रेट्स को 21% वोट मिले हैं.
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